December 23, 2024

“नक्सलियों से लोहा लेने वाली गढ़चिरौली पुलिस के सामने अब गौ-तस्करों की चुनौती”

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“छत्तीसगड से आये गौ रक्षको ने खोली अवैध कारोबार की पोल”
कोरची; (प्रतिनिधि); २८ अगस्त: छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर बसे तहसील में बड़े पैमाने पर मवेशियों का अवैध कारोबार शुरू होने की बात उजागर हुई है। छत्तीसगढ़ सेवा संगठन के अध्यक्ष विजय गुप्ता द्वारा यहां अपने कार्यकर्ताओं के साथ की छापेमारी में बड़े पैमाने पर मवेशियों को रिहा करने की बात भी सामने आई है।
गडचिरोली न्यूज़ नेटवर्क को प्राप्त जानकारी के अनुसार गढ़चिरौली जिले के उत्तरी छोर पर बसे कोरची तहसील में पड़ोसी छत्तीसगढ़ राज्य से बड़े पैमाने पर गौ तस्करी का गोरख धंधा चलता है। घने जंगली इलाकों में जहां अमूमन पुलिस का जाना नामुमकिन माना जाता है बड़े पैमाने पर अवैध रूप से जंगल को कटाई करके मवेशी इकट्ठा किए जाते हैं। इकट्ठा किए हुए मवेशियों को वाहनों में लाद कर बड़ी क्रूरता के साथ तेलंगाना राज्य पहुंचाये जाने की खबर है। अनेक वर्षों से फल फूल रहे इस अवैध कारोबार के तार यहां के वन विभाग एवं पुलिस अधिकारियों से जुड़े होने का भी खुलासा हुआ है। वर्षों से अवैध कारोबार की भनक पुलिस को नहीं लगा भी अपने आप में संदेह पैदा करता है। जंगल की खाक छानकर एक-एक नक्सलियों को चुन चुन कर निशाना बनाने वाली पुलिस इन मवेशी तस्करों के ठिकाने तक हजारो मवेशियों के जमा होने तक नहीं पहुंचने की खबर गले से नहीं उतरती।
विजय प्रकाश गुप्ता नामक राजनांदगांव निवासी व्यक्ति द्वारा इस मामले को उजागर करने के बाद पुलिस हदबल नजर आ रही है। बड़े पैमाने पर वन विभाग एवं पुलिस के अफसर के हाथ इस कारोबार में मैले होने की भी बात विजय प्रकाश गुप्ता ने समाज माध्यमों पर साझा किये वीडियो में लगाए हैं।
एक ओर पुलिस विभाग विजय प्रकाश गुप्ता के आरोपी को सिरे से खारिज करती नजर आ रही है वहीं वह यह बताने में भी असफल दिख रही है कि इतने सारे जानवर अचानक से यहां के जंगलों में कैसे आ गए और वर्षों से चल रहे इस अवैध कारोबार पर पुलिस ने क्या कार्यवाही करी। पुलिस अपनी सफाई में यह बताने की कोशिश कर रही है कि उसने अवैध मवेशी वाहन पकड़े हैं तथा कार्रवाई की है। पुलिस इस बात का समाधान कारक जवाब देने में भी नाकाम रही है कि इतने घने जंगलों के बीच इतने बड़े पैमाने पर जानवरों को इकट्ठा करके वाहनों से क्रूरता पूर्वक ले जाने तक पुलिस खामोश क्यों बैठी रहती है। नक्सली क्षेत्र होने का हवाला देने के साथ ही खुद को बचा रही पुलिस वाकई में इस कारोबार से अनजान है यह समझ से परे है। चलो मान भी लिया जाए कि पुलिस को इसकी खबर नहीं थी तब भी यह बात गले से नहीं उतरती की बिना उनकी सहमति के कोई इतनी बड़ी हिम्मत इस क्षेत्र में कर सकता है।
कौन है विजय प्रकाश गुप्ता?


आपके यहां बताते हैं कि छत्तीसगढ़ निवासी विजय प्रकाश गुप्ता एक वक्त में महाराष्ट्र पुलिस के काफी निकट हुआ करते थे। बोटेकसा एवं कोरची में ढाबे का कारोबार चलाने वाले विजय प्रकाश गुप्ता उस वक्त अचानक से प्रकाश में आए थे जब बेतकाठी इलाके में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में ७ नामी नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया। इन मरने वालों में नॉर्थ गढ़चिरौली-गोंदिया डिविजनल कमेटी मेंबर लालसू, लगीन, प्लाटून क्रमांक 56 का कमांडर उमेश, वीरू के साथ चमको और रून्नीबाई यह दो महिला माओवादी शामिल थे। माना जाता है कि उस वक्त विजय प्रकाश गुप्ता ने ही पुलिस को सटीक जानकारी मुहैया कराई थी जिसके चलते इस मुठभेड़ में इन नक्सलियों को मार गिराना पुलिस के लिए आसान हो गया था। मुठभेड़ की सफलता के बाद इन नक्सलियों के सर रखा गया लाखों रुपए का इनाम भी प्रकाश गुप्ता को पुलिस विभाग ने दिया था ऐसी जानकारी।
इस घटना को हम जब तक पहुंचाने के बाद नक्सलियों के निशाने पर आया विजय प्रकाश गुप्ता गुमनामी की जिंदगी जी रहा था। मरदीन टोला घटना के बाद यहां से नक्सलियों का सफाया होने के बाद अचानक विजय प्रकाश गुप्ता कोरची में प्रकट हो गए। वह जिस जगह पर अपना ढाबा चलाते थे वह ढाबे की जगह किसी और ने किराए से ले ली थी उस जगह को फिर से हासिल करने के लिए वह पुलिस पर दबाव बना रहे थे ऐसा पुलिस का कहना है मगर जिस व्यक्ति की वह जगह है उसने दूसरे व्यक्ति को किराए पर दिए होने की वजह से पुलिस उसमें कुछ भी हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी। इसी बात के चलते विजय प्रकाश गुप्ता और कोरची पुलिस में काफी गमहमा गहमी चल रही थी। इसी बात से नाराज चलते प्रकाश गुप्ता अब एक-एक करके कोरची पुलिस की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।

“गौ-तस्करों की तरफ से विजय गुप्ता को जान से मारने की धमकी एवं हमला”
विजय प्रकाश गुप्ता द्वारा कोरची तहसील के अवैध कारोबारों को मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने पेश करने के बाद इस इलाके में बड़े पैमाने पर मवेशी कारोबारों में शामिल तस्करों ने विजय प्रकाश गुप्ता को जान से मारने की धमकी दिए जाने की भी खबर है। विजय प्रकाश गुप्ता ने हमारे प्रतिनिधि से संपर्क कर यह जानकारी साझा की है कि वह जिस वक्त इकट्ठा किए हुए मवेशियों को रिहा करके लौट रहे थे तभी इन गौ तस्करों के वाहनों द्वारा उन्हें निशाना बनाया गया एवं उनके गाड़ियों को टक्कर मारने की एवं उन पर हमला करने की कोशिश की गई। उनके वाहन चालक द्वारा बड़े सूझबूझ के साथ वाहन का नियंत्रण रखकर उन्हें सुरक्षित छत्तीसगढ़ राजनांदगांव पहुंचाया। विजय प्रकाश गुप्ता द्वारा एक बात और मीडिया प्रतिनिधियों से साझा की गई है कि यदि उनकी जान को कोई जोखिम होता है तो इसका जिम्मेदार कोरची पुलिस को माना जाए क्योंकि वह अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही है जो कि उन्होंने इन सारे कारोबारों को लोगों के सामने जाहिर कर दिया है वह अब उनकी दुश्मन बन गई है।
“गौ-तस्कर हमला होने की शिकायत लेकर पहुंचे थाने में”
इसी बीच यह भी खबर आने लगी है कि गौ-तस्कोरों ने विजय प्रकाश गुप्ता को घेरने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है। उन्होंने खुद पर हमला होने की बात की शिकायत यहां के थाने में करने की भी जानकारी है। अब पुलिस इस पूरे प्रकरण को किस तरीके से संभालती है यह देखने का विषय है मगर यह बात तो तय है कि गौ तस्करी से मालामाल हो चुके लोग यहां पर किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
बड़े पैमाने पर गौ तस्करी का अड्डा बन चुके कोरची को अब इन गौ तस्करों से कैसे निजात मिलेगी यह तो आने वाला व्यक्त बताया मगर यह बात भी तय है कि नक्सलियों के खौफ के बाद यहां पर अब गौ तस्करों का खौफ हावी होने लगा है। भोले भाले आदिवासियों से कम दामों पर खरीदी जाने वाली गाय बैल हजारों रुपए में दूसरे राज्यों तक पहुंचाई जा रही है। इस सब गोरखधंधों में कहीं ना कहीं सरकारी तंत्र भी लाभ उठा रहा है। अब यह देखने की बात होगी कि महाराष्ट्र में गौ-हत्या कानून अमल में आने के बावजूद भी जिस महकमे के तहत इस कानून को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी है यदि वही इस कारोबार में संलिप्त होता है तो न्याय की उम्मीद और कानून को न्याय कौन देगा?

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